Tejashwi Yadav ने पलट दी बाजी ? Nitish कहीं भी रहें..खेल खत्म ! Debate With Pragya

Ulta Chasma uc
27 Jan 202436:50

Summary

TLDRملخص مثيرة للاهتمام يلخص جوهر النص النصي للفيديو، يجذب المستخدمين ويثير اهتمامهم. يتضمن ملخص قصير ولكن دقيق يغطي التفاصيل الأساسية من النص، مع التركيز على الأحداث السياسية والتطورات الهامة في الساحة السياسية الإقليمية، مع التركيز على الشخصيات الرئيسية والتطورات المحتملة للمستقبل.

Takeaways

  • 😀 राज्यपाल बीजेपी की तरफ हैं जबकि स्पीकर आरजेडी की तरफ हैं, और सरकार बनाने के मामले में फ्लोर टेस्ट महत्वपूर्ण होगा।
  • 😀 नीतीश कुमार का राजनीतिक चरित्र बहुत बेरहम माना जा रहा है, उन्होंने कई बार अपनी गठबंधन बदल दिए हैं।
  • 😀 आरजेडी के पास वर्तमान में 118 विधायक हैं, जबकि बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत है।
  • 😀 तेजस्वी यादव की संभावित दावेदारी के बारे में कहा जा रहा है कि वह समर्थन वापस ले सकते हैं अगर विधायकों की संख्या पूरी नहीं होती।
  • 😀 विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है जब फ्लोर टेस्ट की बात आएगी।
  • 😀 नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच तनाव बढ़ रहा है, जिसमें नीतीश कुमार ने अपने मंत्रियों का विभाग बदल दिया था।
  • 😀 नीतीश कुमार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्हें बार-बार गठबंधन बदलने के लिए प्रेरित करती है।
  • 😀 2010 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार ने अति पिछड़ों की राजनीति को ऊंचाई तक पहुंचाया था।
  • 😀 तेजस्वी यादव की राजनीतिक लोकप्रियता नीतीश कुमार के लिए एक चुनौती बन रही है।
  • 😀 नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य बहुत अनिश्चित माना जा रहा है, और बिहार की राजनीति में निरंतर उलटफेर हो रही है।

Q & A

  • राजनीति में मित्र कठिन है क्या अरुण भैया ने यह कथित किया?

    -हां, अरुण भैया ने राजनीति में मित्रता की कठिनाई पर टिप्पणी की है।

  • नीतीश कुमार का राष्ट्रीय जनता दल के साथ संबंध क्यों उल्टा हुआ?

    -नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के साथ संबंध उल्टा करके अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

  • लालू प्रसाद यादव के पास कितने विधायक हैं जो उनके साथ हैं?

    -लालू प्रसाद यादव के पास 118 विधायक हैं जो उनके साथ हैं।

  • बीजेपी की बिहार में की गई रणनीति क्या थी?

    -बीजेपी की रणनीति अति पिछड़ा और पिछड़े वर्ग के नेता को मंडल कमीशन में काम करने के लिए शामिल करती थी।

  • राजनीति में विश्वासघात का क्या अर्थ है?

    -राजनीति में विश्वासघात指的是政客们在政治交易中背叛信任,不遵守承诺的行为。

  • नीतीश कुमार ने कब अपनी महत्वाकांक्षा को बदली?

    -नीतीश कुमार ने अपनी महत्वाकांक्षा बदली जब उन्हें लगता था कि उन्हें तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

  • बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का क्या चरित्र है?

    -नीतीश कुमार के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री का चरित्र एक रहस्यमय प्राणी है जो अपनी राजनीति की रणनीति को अक्सर बदलता है।

  • राजनीति में सत्ता का चरित्र क्या होता है?

    -राजनीति में सत्ता का चरित्र बड़ा और बेरहम होता है, जिसमें नीतीश कुमार के प्रतीक के रूप में उभर रहे हैं।

  • बीजेपी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच का संबंध कौनसा है?

    -बीजेपी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच का संबंध एक गठबंधन है, जिसमें दोनों दलों के नेताओं के बीच समझौता होता है।

  • राजनीति में विरोध की राजनीति का क्या अर्थ है?

    -विरोध की राजनीति指的是反对派政治,即反对党或反对力量在政治过程中所采取的策略和行动。

Outlines

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😀 राजनीतिक परिवर्तन और नेताओं के बीच संबंध

पैराग्राफ 1 में राजनीतिक परिवर्तनों और विभाजनों के बारे में चर्चा की गई है। यह बातें राजनीति में मित्रता और विश्वासघात का जवाब देता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक चाल-चलन और उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (बीजेपी) के संबंधों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। इसके साथ-साथ, विधायकों के आसपास मामला फसता होने की बात भी उठाई गई है, जिसमें तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के नाम शामिल हैं।

05:02

😉 राजनीति में बदलाव और नेताओं की रणनीति

पैराग्राफ 2 में राजनीति में होने वाले बदलावों और नेताओं की रणनीतिक पर चर्चा की गई है। यह बातें नीतीश कुमार के साथ राष्ट्रीय जनता दल के बीच संबंधों के बदलाव पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, विधानसभा में विश्वास प्रस्तावों और अविश्वास प्रस्तावों का विवरण दिया गया है, जिसमें 2022 के अगस्त में हुए विघटन के संदर्भ में चर्चा की गई है।

10:02

😌 राजनीति में आंतरिक संघर्ष और निर्णय लेने की चुनौतियाँ

पैराग्राफ 3 में राजनीति में आंतरिक संघर्ष और प्रमुख नेताओं के निर्णय लेने की कठिनाई पर जोर दिया गया है। इसमें नीतीश कुमार के मानसिक स्थिति और उनके राजनीतिक निर्णयों के बारे में चर्चा की गई है। इसके साथ-साथ, क्रेडिट बार के बारे में भी बात की गई है, जो कि राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

15:02

😡 राजनीति में दलों के बीच प्रतिबंध और प्रतिस्पर्धा

पैराग्राफ 4 में राजनीति में दलों के बीच होने वाले प्रतिबंध और प्रतिस्पर्धा के बारे में चर्चा की गई है। यह बातें भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच के संबंधों पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, राजनीति में सवर्ण और अति पिछड़े वर्गों के नेताओं के भूमिका पर भी चर्चा की गई है।

20:05

😏 राजनीति में विघटन और नई शुरुआत

पैराग्राफ 5 में राजनीति में हुए विघटन और नई शुरुआत के बारे में चर्चा की गई है। इसमें नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर और उनके साथ बदली हुई राजनीतिक स्थिति पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। इसके साथ-साथ, विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों के परिणामों के बारे में भी बात की गई है।

25:05

😶 राजनीति में अनिश्चितता और भविष्य की संभावनाएं

पैराग्राफ 6 में राजनीति में होने वाली अनिश्चितता और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई है। इसमें नीतीश कुमार के इस्तीफे की संभावना और फिर से मुख्यमंत्री बनने की संभावना पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, विपक्ष के नेताओं के बारे में भी बात की गई है।

30:06

😐 राजनीति में विश्लेषण और भविष्य की प्रबंधन

पैराग्राफ 7 में राजनीति में विश्लेषण और भविष्य की प्रबंधन पर चर्चा की गई है। इसमें राजनीति के विभिन्न पहलुओं और उनके परिणामों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। इसके साथ-साथ, राजनीति में विश्वास और अनिश्चितता के बारे में भी बात की गई है।

35:07

😑 राजनीति में संघर्ष और संस्कार

पैराग्राफ 8 में राजनीति में संघर्ष और संस्कार पर चर्चा की गई है। इसमें राजनीति के विभिन्न पहलुओं और उनके परिणामों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। इसके साथ-साथ, राजनीति में होने वाले बदलावों और उनके प्रभाव पर भी चर्चा की गई है।

Mindmap

Keywords

💡राजनीति

المصطلح 'राजनीति' يشير إلى العمليات السياسية والتنظيم السياسي في أي دولة أو مجتمع. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف التطورات والتغييرات في الساحة السياسية الإقليمية، وتأثيرها على القرارات السياسية والسياسات العامة. مثالاً من النص: 'राजनीति में मित्र कठिन है'، يشير إلى صعوبة اتخاذ القرارات السياسية والعلاقات بين الأحزاب.

💡बीजेपी (BJP)

'बीजेपी' هي абkürية لـ 'Bharatiya Janata Party'، وهي حزب سياسي في الهند يتمتع بشعبية واسعة. في النص، يُناقش الدور الذي ألعبه الحزب في الarena السياسية المحلية وتأثيره على التحالفات والقرارات السياسية. مثالاً من النص: 'बीजेपी की तरफ से'، يشير إلى الدعم أو الانتقاد الذي يأتي من الحزب.

💡राज्यपाल

المصطلح 'राज्यपाल' يشير إلى الشخص الذي يمثل الرئاسة في ولاية أو منطقة معين. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف الدور الذي يمكن أن يلعبه الرئاسي في القرارات السياسية والعمليات الحكومية. مثالاً من النص: 'राज्यपाल बीजेपी की तरफ से'، يشير إلى الدعم الذي يقدّمه الرئاسي للحزب.

💡विधानसभा

'विधानसभा' هي الجمعية التشريعية في نظام حكومة الهند، التي تتضمن رؤساء المحافظات. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف الدور الذي يمكن أن يلعبه الجمعية التشريعية في العمليات السياسية والتشريع. مثالاً من النص: 'विधानसभा अध्यक्ष'، يشير إلى الشخص الذي يرأس الجمعية التشريعية.

💡अभियान

المصطلح 'अभियान' يمكن أن يشير إلى حملة أو منحنى سياسي أو اجتماعات معين. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف الجهود التي تبذلها الأحزاب السياسية لتحقيق أهدافها السياسية. مثالاً من النص: 'अभियान कोतवाल'، يشير إلى الحملة التي تقودها الشخص المذكور.

💡सीएम

'सीएम' هي абkürية لـ 'Chief Minister'، وهو الشخص الذي يرأس حكومة ولاية أو منطقة معين. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف الدور الذي يمكن أن يلعبه الشخص الذي يرأس الحكومة في العمليات السياسية. مثالاً من النص: 'सीएम पद का'، يشير إلى منصب رئيس الحكومة.

💡अवध

المصطلح 'अवध' يمكن أن يشير إلى اسم محافظة أو منطقة معين في الهند. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف التطورات السياسية في تلك المقاطعة. مثالاً من النص: 'अवध बिहारी चौधरी'، يشير إلى الشخص الذي يمثل المقاطعة في الساحة السياسية.

💡गठबंधन

'गठबंधन' يشير إلى التحالف أو الاتفاق السياسي بين الأحزاب السياسية. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف العلاقات بين الأحزاب وتأثيرها على القرارات السياسية. مثالاً من النص: 'गठबंधन टूटी'، يشير إلى انهيار التحالف السياسي.

💡प्रश्न

المصطلح 'प्रश्न' يشير إلى سؤال أو استفسار. في النص، يُستخدم هذا المصطلح لوصف الاستفسارات والاستفسارات التي تطرح حول التطورات السياسية والقرارات. مثالاً من النص: 'प्रश्न था'، يشير إلى وجود سؤال أو استفسار في النقاش.

💡नितीश कुमार

'नितीश कुमार' هو اسم شخص يشير إلى سياسي أو قائد حزب في الهند. في النص، يُناقش الدور الذي يمكن أن يلعبه هذا الشخص في الساحة السياسية والقرارات التي يمكن أن يتخذها. مثالاً من النص: 'नितीश कुमार का सौभाग्य'، يشير إلى الدور الذي يمكن أن يلعبه الشخص في التطورات السياسية.

Highlights

Discussion about the political stance of the Governor and the role of the Speaker in the formation of the government.

The complexity and difficulty of friendships and alliances in politics.

The ethical questions raised by certain politicians and the challenges of maintaining a clean image in politics.

The fluid nature of political alliances, as demonstrated by shifts in support from different parties.

The potential for a 'floor test' to determine the strength of the government's majority.

The role of Tejashwi Yadav and his private visit to Tej Pratap Yadav's residence amidst political negotiations.

Speculations about the possible outcomes of political maneuvering and the support Tejashwi Yadav might receive.

The political strategies and tactics used by Nitish Kumar, including his potential to switch sides.

The influence of the central government and the BJP on state politics.

The potential impact of a no-confidence motion on the stability of the government.

The role of the media and public perception in shaping political narratives.

The importance of the political legacy and the challenges of maintaining a consistent political ideology.

The potential for political realignments and the speculations about the future of the political coalition.

The discussion about the political future of Bihar and the role of various political figures.

The mention of political events and their implications on the political landscape of Bihar.

Transcripts

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मेरा सवाल ये है कि आप कह रहे हैं कि

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राज्यपाल बीजेपी की तरफ से है और और और और

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आरजेडी की तरफ से स्पीकर है अगर मामला

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फसता है एक दो विधायकों के आसपास आकर

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मामला फसता है अगर सरकार बनाने के लिए

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सरकार बनाने के लिए कहा जाता है पहले

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सरकार किसको फ्लोर टेस्ट प मामला फसता है

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देखिए तीन चार बार की यारी और चार बार की

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दुश्मनी है ना यह बिहार में यह खेल चल रहा

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है और प्रज्ञा हम आपको बता दें की दिनकर

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की एक पंक्ति है ऐसे लोग नैतिक अनैतिक का

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बराबर सवाल उठाते हैं हम उसका जवाब भरत जी

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आपको देंगे दिनकर ने बहुत पहले लिखा था आज

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नहीं राजनीति में मित्र कठिन है स्व से

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उठा चरित्र कठिन है एक जुआरी के अड्डे पर

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वातावरण पवित्र कठिन है तो सत्ता का जो

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चरित्र होता है बड़ा बेरहम होता है और

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नीतीश कुमार इसके सबसे बड़े प्रतीक के तौर

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पर उभर रहे हैं अब आप कभी राष्ट्रीय जनता

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दल के वोट बैंक के साथ जीत करके आते हैं

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तो आप फिर पलट पलटी ले लेते हैं अब बीजेपी

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के साथ आते हैं तो फिर पलटी ले लेते हैं

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मतलब अब एक अब इसको राजनीति में जो

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पॉलिटिशियन है वो विश्वासघात का भी नाम

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देते हैं भरत जी के सवालों का जवाब देते

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हैं कि अभी तक लालू प्रसाद यादव के पास

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118 विधायक उनके पास है जी 122 जो है

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बहुमत है ठीक है आपका कहना कि अध्यक्ष

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उनके फ्लोर टेस्ट होगा उसके बाद ये बहुमत

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साबित होगा उसके बाद सारी चीजें होंगी

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लेकिन अभी जो खबर निकल के आ रही है उसमें

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यह कुमार सर्वजीत जो कृषि मंत्री हैं

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बिहार सरकार के उन्होंने सबसे पहले कहा कि

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मैंने सरकारी गाड़ी लौटा दी है और मैं

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अपनी निजी गाड़ी से तेजस्वी यादव के आवास

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पर पहुंचा हूं वहां मीटिंग चल रही

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है यहां के भी वरिष्ठ पत्रकारों के बीच

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लोगों का अनुमान ऐसा लग रहा है कि किच किच

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से बचने के लिए तेजस्वी यादव हो सकता है

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कि समर्थन वापस ले ले अगर विधायकों की

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संख्या नहीं हो तो इससे पहले ऐलान भी कर

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चुके हैं जो सरजीत है वो ऐलान कर चुके हैं

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कि मैं अप गाड़ी वापस कर रहा हूं और संभवत

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हम समर्थन वापस ले लेंगे ताकि उसकी नौबत

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नहीं आ लेकिन जहां तक सवाल है कि अब

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अध्यक्ष है अवध बिहारी चौधरी राष्ट्रीय

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जनता दल के हैं और यह फ्लोर टेस्ट पर मुझे

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जो लग रहा है क्योंकि जैसे ही यह फ्लोर

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टेस्ट की बात आएगी तो एक अविश्वास

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प्रस्ताव लाया जाएगा किसके खिलाफ विधानसभा

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अध्यक्ष के खिलाफ हालांकि इससे पहले जो

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खेल हुआ था

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20009 अगस्त 2022 जब गठबंधन ये एनडीए यहां

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टूटी थी तो उसमें था कि विजय सिन्हा को

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अंतिम तक था विजय सिन्हा अंत अंत तक उनके

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खिलाफ लास्ट में एक अविश्वास प्रस्ताव

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लाया गया पहले फ्लोर टेस्ट वगैरह करवा

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लिया गया क्क जान रहे थे कि महागठबंधन के

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पास अपार बहुमत है विधानसभा के फ्लोर पर

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लेकिन यहां चीजें बहुत इन कंटेस्ट है ना

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तो चार लोग घट रहे हैं जीतन राम मांझी को

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ऑफर दिया गया लेकिन जीतन राम मांझी ने

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इसको इंकार कर दिया और उनके बेटे का बयान

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आया है संतोष सुमन का कि मैं किसी कीमत पर

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मैं महागठबंधन की तरफ नहीं जा सकता तो

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स्थिति बिल्कुल साफ है कि नीतीश कुमार एक

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बार फिर से बिहार के सीएम पद का

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जो इस्तीफा देक के और फिर से एक बार सीएम

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पद के दावेदार है तो ऑफर लेटर हाथ में है

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अब सवाल है कि तेजस्वी यादव की

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दावेदारी कल परसों रात में परसों शाम में

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लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को फोन

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किया और नीतीश कुमार को कई दफा फोन करने

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के बाद अंत में एक बार उन्होंने उठाकर कहा

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कि आप दवा खाइए टेंशन जैसी कोई बात नहीं

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है लेकिन कल जो डेवलपमेंट होता है उसमें

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यह कि वे लगातार फोन करने के बाद जब फोन

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नहीं उठाते हैं और गांधी मैदान में जो

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तस्वीर सुबह की दिखी जहां नितीश और

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तेजस्वी दो ध्रुव की तरह नजर आ रहे थे और

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नितीश पलट कर के भी नहीं देखना चाह रहे थे

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तेजस्वी यादव को तो तेजस्वी यादव को ये

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इलहाम हो गया था कि कहीं ना कहीं कोई बड़ी

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गड़बड़ चल रही है हालांकि पैचअप की कोशिश

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हुई तेजस्वी यादव नीतीश कुमार तेजस्वी

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यादव जाते हैं नीतीश कुमार के पास इससे

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पहले चार दिन पहले उसके बाद बगैर सहमति के

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उन मंत्रियों का विभाग बदला जाता है तो

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नीतीश कुमार एक मन बना चुके थे कि भाई हम

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अब इनके साथ नहीं रह सकते उसको एक

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घटनाक्रम से अगर समझिए कि आखिर क्यों ऐसे

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हुआ यह भी बात है लोर टेस्ट की बात लेकिन

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थोड़ा सा यह समझना चाहिए दर्शकों को कि

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आखिर यह पोजीशन आया कैसे आप 13 फरवरी को

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याद कीजिए 13 फरवरी को एक जूम मीटिंग

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संभवत इंडिया गठबंधन की

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ी जिसमें संयोजक के तौर

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पर सीता रामे चोरी के द्वारा नीतीश कुमार

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का नाम आगे किया गया ठीक है वो अपमान का

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अंतिम दिन था तो वो उस दिन जो था सीताराम

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चूरी के द्वारा जैसे ही किया जाता है तो

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उसके

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बाद शरद पवार ने उसको यह किया तो राहुल

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गांधी ने संभवत यह कहा कि भाई ममता बनर्जी

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इस पर सहमत नहीं और वह है नहीं इसलिए हम

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इसमें नहीं रह सकते अब थोड़ा सा इसको ऐसे

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समझिए कि चार मीटिंग जिसकी शुरुआत नीतीश

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कुमार ने यहां से की पटना से हुआ और इस

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बैठक की शुरुआत में लालू प्रसाद यादव ने

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एक बड़ा खेल रच दिया खेल क्या था कि सुनील

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भैया भी हमारे उनको याद होगा कि जैसे ही 9

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अगस्त को प्रज्ञा यहां गठबंधन टूटता है

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ठीक है 22 22 की बात हम बता रहे हैं और

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बोर्ड लगता है बड़ा सा जदू के ऑफिस के ठीक

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आगे आश्वासन नहीं सुशासन की सरकार उस समय

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बड़ा स्पष्ट था कि भाई तेजस्वी यादव यहां

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संभालेंगे और आप केंद्र की राजनीति

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कीजिएगा लेकिन धीरे धीरे चीजें बदलने लगी

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और प्रधानमंत्री कैसा हो हम लोग तो देखते

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थे प्रधानमंत्री कैसा हो नीतीश कुमार तो

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महत्वाकांक्षा तो पल गया अंदर नीतीश कुमार

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तो महत्वकांक्षी आदमी है है ना कुर्सी के

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लिए कुछ भी जायज है लेकिन लगा उनको कि

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नहीं अब सत्ता गहना है तो भाई केंद्र का

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गहो अब इस बीच में सारी चीजें डेवलप करने

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होने लगी ललन सिंह भी लगातार जो कभी एकदम

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उनका यूएसपी था ललन सिंह का यूएसपी क्या

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था लालू विरोध चारा घोटाले को किसने उजागर

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किया 94 में मैं बावे की कथा कहूंगा तो

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रोंगटा खड़ा हो जाएगा बिहार भवन में लालू

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प्रसाद यादव ने गाली दी थी भगाओ इसको भगाओ

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इसको बगल में शिवानंद तिवारी थे बगल में

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सरजू राय थे सब लोग

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थे हां बा की कथा मैं कह रहा हूं जब नीतीश

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और लालू प्रसाद यादव दोनों में करीब करीब

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बिलगांव होने लगा था मंडल की राजनीति के

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बाद ठीक है ना वो बिलगांव हुआ और लालू

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प्रसाद यादव ने नीतीश को दूध की मक्खी की

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तरह निकाल फेंका ठीक है फिर एक कुर्मी

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रैली होती है 94 में सुनील भैया आपको याद

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होगा और 94 में नीतीश पहुंचते हैं वहां से

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नेतृत्व का कमान मिलता है तो प्रज्ञा और

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भरत जी दोनों य इसको समझना होगा कि नीतीश

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कुमार एक रहस्यमय प्राणी है भाई इनको समझ

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पाना हम लोग तो इतने दिनों से देख रहे हैं

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इतने दिनों से 97 समय पत्रकारिता कर रहा

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हूं सुनी सुनील भैया के संरक्षण में तो

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लेकिन अजीब एक तरीके की स्थिति है कहा

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जाता है ना यही ललन सिंह कहा करते थे जब

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10 में हटे थे तो कहा करते थे पेट में

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दांत है कभी-कभी अब तो हम स्वयं कभी कभी

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महसूस कर रहे हैं भैया कि पत्रकार दीर्घा

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में जब बैठेंगे और फिर यह समीकरण देखेंगे

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तो मुझे लग रहा है कि आखिर यह बोलेंगे

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क्या अब मुझे शर्म आ रही है लेकिन पता

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नहीं यह लोग कितने ढीठ होते हैं नेता कि

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वो हर परिस्थिति के लिए तैयार होते हैं

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मैं अब अब चले जस्वी यादव की दावेदारी पे

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जो हमारे बड़े भाई सुनील जी भी कह रहे थे

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नहीं सर इस पे आएंगे दावेदारी पर आएंगे

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दावेदारी पर आएंगे सर दो दो थ्योरी चल रही

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है वो भी आपसे समझना चाहेंगे एक थ्योरी तो

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ये चल रही है कि नीतीश कुमार इंडिया

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गठबंधन से नाराज हो गए उनको प्रधानमंत्री

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पद का उ दावेदार नहीं बताया गया जिस वजह

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से तोड़ दी दूसरी थ्योरी ये चल रही है कि

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जब से तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री और

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नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं तब से

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तेजस्वी यादव इस तरीके से काम कर रहे हैं

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या लोगों में मैसेज ये जा रहा है

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अनौपचारिक तौर पर भी प्रत्यक्ष तौर पर भी

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लोगों में मैसेज ये जा रहा है कि तेजस्वी

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यादव अच्छा काम कर रहे हैं अस्पताल का

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उद्घाटन हो नौकरी देना हो लोगों को तो

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तेजस्वी यादव का चेहरा नीतीश कुमार से आगे

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है जबकि तेजस्वी यादव डिपी है और वह सीएम

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है उनका चेहरा बड़ा होना चाहिए तो लोग यह

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कह रहे हैं कि नीतीश कुमार अपने आप को

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खत्म होता हुआ देख रहे थे तेजस्वी यादव की

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आभा के सामने जिसकी वजह से वो यहां से जा

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रहे हैं और दो ये दो थ्योरिया चल रही है

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एक तो इंडिया गठबंधन और एक तेजस्वी यादव

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के सामने जो अपना आभामंडल कम होता देख रहे

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हैं इन दोनों का सर बताइएगा नीतीश कुमार

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का सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य कहिए है ना

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वह अपने राजनीति के अंतिम दौर में है अब

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जहां तक आपकी बात है कि तेजस्वी यादव

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अच्छा काम कर रहे हैं तो सवाल है कि आपने

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कुछ दिन पहले यहां के विज्ञापनों में

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क्रेडिट बार देखा हो ठीक है ना एक

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विज्ञापन निकलता है शिक्षक का ठीक है हम

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अब उसी दिन ये चीजें तय हो गई थी कि कहीं

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नहीं क्रेडिट बार लेने की कितनी बड़ी

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कोशिश है विज्ञापन शिक्षकों का निकलता है

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उसमें छोटा सा एक लिखा रहता है 2020 में

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कैबिनेट से पारित ठीक है राष्ट्रीय जनता

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दल के इसमें कहीं कोई शक नहीं कि चीजें

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पहले से चल रही थी जब बदली और तेजस्वी

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यादव आए तो वो नियुक्ति का समय आ गया यह

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जो 9 अगस्त 2022 के बाद से नियुक्ति का

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समय आता है और वह एक बाढ़ जैसा आता है और

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उसमें सारी चीजें हो जाती है अच्छा नीतीश

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कुमार के भी मानसिक स्थिति का जरा समझिए

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कि जब पहला 9 अगस्त को सरकार बनती है 15

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अगस्त को वो मौजूद होते हैं गांधी मैदान

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पटना में ठीक है उस समय ऐलान करते हैं कि

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अरे आप ही को देखना तेजस्वी यादव की तरफ

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हाथ करते हुए तो उनको एक विश्वास था और

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इनको लगातार वो आगे आगे हमेशा इस तरह की

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बातें सामने आती थी व तेजस्वी यादव को खूब

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प्रोजेक्ट कर रहे थे लेकिन नितीश कुमार

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में एक बड़ी बात है कि जब उनको लगता है कि

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मेरा अपमान किया जा रहा है या हमको तोड़ने

play10:42

की कोशिश की जा रही है उनके लोग तोड़ने

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किसी को तो कोई शक अंतर नहीं पड़ता चिराग

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को कैसे तोड़ा सब कोई जानता है लेकिन अगर

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उन्हें ऐसा लगता है कि मुझे तोड़ने की

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कोशिश चल रही है तो जरा सा ललन सिंह को

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अध्यक्ष पद से हटाया जाए ठीक क्रेडिट बार

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की मैं बात क्रेडिट बार पर मैं कह चुका

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हूं कि क्रेडिट बार लेने के दोनों में

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होड़ हो चुकी थी दोनों चाहते थे एक दूसरे

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को पटकना क्योंकि राजनीति में राजनीति

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महत्वाकांक्षा का खेल है और इसमें कहीं

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कोई शक नहीं सुनील भैया भी सहमत होंगे कि

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भारतीय जनता पार्टी भी चाहती है कि इनके

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सियासी इनकी सियासी मौत जल्द से जल्द हो

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और राष्ट्रीय जनता दल भी चाहती है कि

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सियासी मौत जल्द से जल्द ताकि अखाड़े में

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दो ही पहलवान रहे सामने आमने कक क्षेत्रीय

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पार्टिया रहती है तो भाई हम लोग तो

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पत्रकार है हम लोग को तो मजे मजे हैं बात

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करने के लिए बहुत सारी चीजें मिल जाती है

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राजस्थान में क्या बात कीजिएगा लेकिन यहां

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क्रेडिट बार चल रहा है और चलने के दौरान

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ही एक चीज जब आई तो हम लोगों को खटक गया

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कि यह क्या लिखा जाता है 2020 में के

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कैबिनेट से पारित फिर देखिए विजय चौधरी एक

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जगह जाते हैं उस समय के शिक्षा मंत्री थे

play11:51

जिन्होंने इसको पारित किया था तो वे कहते

play11:54

हैं बहुत जोर देकर अरे ये तो हमने ही ना

play11:56

किया था ठीक है तो ये दोनों में लखिया चल

play12:00

रही थी लेकिन थोड़ा सा इसको बैठक से जोड़

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लीजिए डी गठबंधन के बैठक से जोड़ पहला

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बैठक नीतीश उसके सबसे बड़े टूल्स होते हैं

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आधार बनता में कराई गई पटना में कराई गई

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पहली बैठक आप जरा सा उसके वाकिया को देखिए

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उस वाकिया को देखिए राहुल गांधी बैठे होते

play12:20

हैं सब लोग होता है इस सारों इशारों में

play12:23

लालू प्रसाद यादव ने ऐसी बात कह दी कि

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नीतीश को चुप गया अंदर की जो खबर है अब

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क्या था सब कुछ हो गया अंत में लालू जी

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माइक लेते हैं कहते हैं कि अरे आप दूल्हा

play12:34

तो आप ही ना है दाढ़ी उड़ी बना लीजिए

play12:37

नीतीश ब की भाषा में बात करते वर्ड टू

play12:40

वर्ड सर हा अरे द दाढ़ी बना लीजिए दुल्हा

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तो आप ही ना है तो नीतीश खूब

play12:53

खलखो नहीं सुशासन की सरकार प्रधानमंत्री

play12:57

कैसा हो अब तो उनको लगा कि खेल यहां से

play13:00

शुरू हुआ है दूसरा बैठक कहां

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बेंगलुरु बेंगलुरु जी जी तीसरा बैठक जी जी

play13:09

जी बैठक के बाद अब देखिए लालू प्रसाद यादव

play13:13

की एक और गलती हो जाती है अब पता नहीं वो

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जान बूझ के बोल रहे थे संयोजक पर बात चल

play13:19

रही थी तो उन्होंने कहा कि दो तीन राज पर

play13:22

एक संयोजक होई अब ला अभी तो बेचारे यहां

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से चले सोचे कि केंद्र की राजनीति करें तो

play13:29

दो तीन राज्य प कैसे होगा भाई ये तो सोचने

play13:32

वाली बात है कि दो तीन राज पर एक से तो

play13:34

इनकी हैसियत धीरे धीरे धीरे धीरे कम की

play13:37

जाने लगी इन परिस्थितियों में जैसे ही

play13:41

नीतीश कुमार अपने आप को पाए तो उधर एक

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प्रस्ताव चला गया कहां केंद्र क्योंकि ये

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पूरे घटनाक्रम से पहले एक मंत्री कपूरी

play13:52

ठाकुर के जन्म शताब्दी समारोह में नजर

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नहीं आते हैं उनका नाम था संजय झा संजय झा

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दिल्ली में प्रस्ताव लेकर पहुंच जाते हैं

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ठीक है उन तीन चार दिनों में रेगुलर काम

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होता है उसपे और यह चीजें आप ललन सिंह को

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याद ललन सिंह को हटा दिया गया अध्यक्ष पद

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से कहा गया कि भाई ये हटने के लिए इनका

play14:13

चुनाव है तो तो जि समय अध्यक्ष पद लिए थे

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उस समय चुनाव नहीं था क्या आप संसद है तो

play14:19

चुनाव लड़ लड़गा ना भाई तो उस समय लेकिन

play14:22

वो रास्ता था एक एक पैसेज देना था कि हम

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लोग फिर से इलू इलू करें

play14:29

फिर से वह चालू हो तो यह इधर से और उधर से

play14:33

दोनों तरफ बेताब थ लेकिन मोदी के अंदर और

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अमीत शाह के अंदर जो सबसे बड़ा डर था वह

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इंडी गठबंधन का डर था तो टारगेट फिक्स हो

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गया कि भाई ध्वस्त करो इसको और उसमें यह आ

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गए तो इंडी गठबंधन का डर था उसमें सर्वे

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में यह रिपोर्ट आई थी कि यहां बीजेपी की

play14:53

सीटें कम

play14:55

रही अब आप 19 से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर

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सकते ना हिंदी पट्टी के क्षेत्रों में

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संतृप्ति पर आ गई है बीजेपी उसका हाई लेवल

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आ गया है 39 से बेहतर प्रदर्शन कर दीजिएगा

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क्या बिहार के अंदर 40 सीठी है 39 है तो

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अब तो बात रही दोहराने की ना हर कमत पर

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सरकार बनानी है तो दोहराने की बात है अब

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तो यहां चिराग भी है पशुपति पारस भी है

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उपेंद्र कुशवाहा भी है जीतन राम मांझी भी

play15:22

है खेल तो इसके बाद इनके अंदर जब गठबंधन

play15:25

के अंदर गठबंधन हमने देखा एनडीए गठ के

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अंदर सकरात के चूड़ा दही के दिन यहां तीन

play15:31

लोग मिलते हैं तीन लोग वहां बैठ जाते हैं

play15:33

दिल्ली में कुशमाहा मांझी

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और तोय अंदर की बात थी ना तो यह हुआ और

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इसके बाद से चीज बदलने लगी अब आज जिस

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पोजीशन में बिहार खड़ा है जहां सियासत है

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वह उलट फेर के सियासत का सातवा अध्याय कुछ

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देर में समाप्त हो जाएगा ठीक है बक्सर चले

play15:55

गए हैं मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जाना

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था परट विभाग का कार्यक्रम था हाटी की

play16:01

पार्टी में व नहीं जाते हैं उनके पर्ची को

play16:03

नोच करके वहां पर अशोक चौधरी बैठते हैं और

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इसमें सियासी आग में घी डालने का काम किया

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रोहिनी

play16:11

आचार चीज हो सकी बचती लेकिन मन तो बन ही

play16:14

चुका था ना चंद्रशेखर को हटा देना फिर

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आलोक को यहां बैठा देना उनको तीन

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मंत्रियों का विभाग बदल दिया गया तेजस्वी

play16:23

यादव और लालू यादव तो वहां गए 45 मिनट

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बैठे

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तो बात क्या लालू लालू यादव की उनके बेटे

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की इतनी मस्त सरकार चल रही थी एक साल की

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लगभग बची है अभी पना साल की वो भी कट जाती

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त जी एक बात सुन लीजिए हमने इतना डरा हुआ

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लालू अपने जीवन में कभी नहीं

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देखाना

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रा

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साल सुनील भैया भी सहमत होंगे ठीक है ना

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इतना डरा हुआ लालू मैंने क नहीं देखा कौशल

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जी से है सर ये

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बताइएगा नरेंद्र मोदी जी ने वसुंधरा राजे

play17:03

को नहीं बक्शा राजस्थान में उनके समकक्ष

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मुख्यमंत्री थी एक समय में बराबर की दूसरे

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नरेंद्र मोदी जी से बड़े मुख्यमंत्री थे

play17:12

शिवराज सिंह चौहान नरेंद्र मोदी जी के हाथ

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में जब सत्ता आई तो उनको भी नहीं बक्शा

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ज्यादा दुश्मनी जोनों में कभी थी नहीं

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लेकिन नीतीश कुमार तो वो आदमी है जो

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नरेंद्र मोदी कोशी के लिए पैसा भेजते हैं

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तो नीतीश कुमार कहते हैं नहीं चाहिए हमको

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ये रात ये वापस लौटा देते हैं फिर नरेंद्र

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मोदी प्रचार करना आने आना चाहते हैं बिहार

play17:31

में तो प्रतिबंध लगा देते हैं कि नहीं

play17:33

बिहार में हमको इनसे प्रचार नहीं करवाना

play17:36

अमेरिका ने तो बाद में प्रतिबंध लगाया

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नीतीश ने पहले लगाया तो नीतीश कुमार और

play17:40

नरेंद्र मोदी की जो दुश्मनी है वो तो

play17:42

बच्चा बच्चा जानता है तो अब क्या जब जब

play17:46

अपनी पार्टी के विरोधियों को नरेंद्र मोदी

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जी पनपने नहीं दे रहे हैं या अमित चाह

play17:52

पनपने नहीं दे रहे हैं तो नीतीश कुमार

play17:56

कितनी देर नीतीश कुमार को कितनी देर तक पन

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अपने देंगे भाई तो वो तो 20 में ठिकाने

play18:02

लगाने की कोशिश हुई थी ना अगर आप कुर्सी

play18:05

के कायदे से इसको समझना चाहते हैं तो यह

play18:07

समझना होगा 95 से ठीक है ना कि जब जया

play18:12

जेटली और नीतीश कुमार को जॉर्ज फर्नांडिस

play18:14

ने मुंबई के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक

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में भेजा था ठीक है क्योंकि बीजेपी को भी

play18:21

एक अति पिछड़ा और पिछड़े वर्ग का नेता

play18:23

चाहिए था जो मंडल कमीशन में काम कर चुका

play18:25

है क्योंकि राम मंदिर और शिला पूजन और ये

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सारी शिला पूजन ने 119 सांसदों को जिता कर

play18:31

के बीजेपी लेकर चली आई थी संसद के अंदर

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बीपी सिंह की सरकार को जब समर्थन वापस

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लिया था बीजेपी ने उससे थोड़ा सा आगे चलिए

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कि बीजेपी को चाहिए था एक कद्दावर नेता

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जिसकी यूएसपी हो जो लालू के लालू का खिलाफ

play18:48

कर सके तो 92 से ही चीजें यहां खत्म होने

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लगी लालू प्रसाद के प्रबल विरोधी के तौर

play18:55

पर नीतीश कुमार आ गए

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सामने नीतीश कुमार को सरकार में हस्तक्षेप

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की कोई इजाजत नहीं थी जबकि वो जनता दल यू

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के मंत्री थे विश्वनाथ कृषि मंत्री हुआ

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करते थे उस अब सवाल था कि बीजेपी इनके

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कंधे पर बंदूक रख के यहां राजनीति करना

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चाहती थी 95 या 96 मुझे पूरी तरह याद नहीं

play19:15

है भैया को याद होगा तो राष्ट्रीय

play19:17

कार्यकारणी की बैठक में पगड़ी पहना दिया

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गया कि चलिए बिहार की राजनीति कीजिए और

play19:24

उसमें क्योंकि वो दौर था हम लोगों का तो

play19:26

रूह कांप जाता है हम लोग का गांव ऐसे जगह

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था पहला नर संघार हुआ था 92 में 12 34

play19:34

लोगों को काट दिया गया गला काटा गया था और

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हमारे गांव से ठीक दो कुस की दूरी पर

play19:42

स्थिति क्या थी उसके बाद रेगुलर नर संघार

play19:45

हुए बिहार के अंदर तो एक व्यक्ति चाहिए था

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जो विरोध करे आज जो भारतीय जनता पार्टी

play19:51

सवर्णों के सवर्ण जो वोट दे देते हैं

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भारतीय देखिए जाति की छाती पर बिहार की

play19:55

राजनीति भी नाचती है और उत्तर प्रदेश की

play19:57

भी नाचती

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तो बिहार के अंदर सवर्ण जो बदल गए

play20:01

कांग्रेस से उसके पीछे सबसे बड़ा कारण रहा

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कि लोग काटे जाते रहे और उस समय जाने वाला

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एक ही नेता होता था मुझे जो याद है हम तो

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पढ़ते भी थे पढ़ाई कर रहे थे वो था सुशील

play20:12

मोदी जो हर दरवाजे पर पहुंच जाता था अब

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जिस गांव के अंदर एक एक घर से चारचार लोग

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मार दिए जा रहे हो और वहां सरकार अठस कर

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रही हो तो अब सवर्ण तो इनके पाले में आने

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वाले नहीं दूसरी बात रही भरत जी और

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प्रज्ञा जी दोनों समझिए अति

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पिछड़ा अति पिछड़ा यूएसपी हो गया नीतीश

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कुमार ठीक है वो जो यूएसपी अभी तो जातीय

play20:39

गन्ना बिहार के अंदर हुई है 36 प्र वोट

play20:42

उसके पास है तो एक समय हुआ कि जैसे ही अति

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पिछड़ा वोट यूएसपी हुआ

play20:49

और नीतीश कुमार 2010 के लोकसभा चुनाव

play20:53

में विधानसभा चुनाव में अति पिछड़ों की

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राजनीति को अगर कोई फर्ज से अर्स तक ले

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गया तो वो थे नीतीश कुमार अरुण भैया भी आ

play21:03

गए हैं

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तो 19 विधायक जीत करके चले आए इनके तो

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उनकी यूएसपी थी और 2010 के विधानसभा चुनाव

play21:13

में एकदम आप उसको कहिए कि बहुमत एकदम और

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इतना जबरदस्त आया 206 सीट पर जीत गए एनडीए

play21:21

यहा जीत गई लेकिन होता है ना कि

play21:24

महत्वाकांक्षा एकदम जो बैर की बात कर रहे

play21:27

हैं भरत जी तो वो बैर जो था वह नीतीश

play21:31

कुमार को अलग हटने पर मजबूर कर दिया और

play21:34

वहां जो उनकी महत्वाकांक्षा थी वो एक अलग

play21:37

रास्ता तय कर गई और दो सीट वो लोकसभा

play21:39

चुनाव में जीतने में कामयाब हो पाए संभवत

play21:41

चार राजत के थे और कुछ कांग्रेस के तो यह

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स्थिति नीतीश कुमार ने अपनी महत्वाकांक्षा

play21:48

की वजह से कुर्सी की कवायद में खुद बना और

play21:52

अब जो परिस्थितियां 14 के बाद से लगातार

play21:54

बोल रहे हैं कि चार बार की आरी और चार बार

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की दुश्मनी ऐसे चीजें चलते चली गई अब जो

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बात है कि आखिर मोदी को नीतीश पसंद क्यों

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है उस दिन पहले तो बो नीतीश मोदी जी ने

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कहा था कि सबसे बड़े समाजवादी नेता

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है तो इसके पीछे रीजन है कि अगर नितीश जी

play22:15

छोड़ दीजिए 16 प्र वोट इनको आता रहा है

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अगर 10 प्र वोट भी आ जाता है तो खेल तो

play22:22

बड़ा हो जाएगा

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ना तो फिर तो वही स्थिति जो संतृप्त है

play22:28

अपने हाइट पर

play22:30

है एनडीए गठबंधन यहां 19 के चुनाव में 39

play22:33

सीट का जीत जाना साधारण बात नहीं तो उससे

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ज्यादा आप तो जीत नहीं सकते तो फिर अब

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उसको दोहराया कैसे जाए मोदी नीतीश को

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अच्छा दूसरी बात नीतीश के खुद के सांसद जो

play22:44

सात आठ है जो बीजेपी के वोट से जीत करके

play22:49

आए हैं उन लोगों ने भी कहा कि भाई यह

play22:52

कॉमिनेशन अगर रहा तो हम लोगों की स्थिति

play22:54

खराब होगी कुछ विधायको ने भी संभवत इसकी

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राय दी तो ये नीतीश के अंदर भी डर था कि

play22:59

कहीं पार्टी टूट ना जाए 24 से पहले यह भी

play23:02

बात है अब कई सवाल जो लोगों के अंदर तैरते

play23:06

हैं कई सवाल जो लोग जानना चाहते हैं उसमें

play23:10

यह है कि अब इनका गठबंधन कितना दिन चलेगा

play23:13

नितीश तो महत्वकांक्षी आज ही 40 400 से

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ज्यादा सीओ का बाकी का ट्रांसफर कर रहे

play23:19

हैं बीजेपी के लिए लगता है कुछ छोड़ेंगे

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नहीं तो नीतीश महत्वाकांक्षा की राजनीति

play23:24

करते

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हैं पहले भी कहा कि एक समय प्राणी है बड़े

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भाई अरुण भैया भी है उनसे ज्यादा कौन

play23:32

जानता है हाइपोथेटिकल सवाल है कलेन जी से

play23:34

सवाल है एक सवाल मान लीजिए कि तेजस्वी जो

play23:38

कह रहे हैं वो सही कह रहे हो सकते हैं कि

play23:40

हम इतनी आसानी से तख्ता पलट नहीं होने

play23:43

देंगे हो सकता है जेडीयू के विधायकों के

play23:45

संपर्क में वो हो या किसी और के संपर्क

play23:48

में हो अगर संपर्क में है भी अगर उनके पास

play23:51

नंबर्स जुट भी जाते हैं मिल भी जाते हैं

play23:53

उनको नंबर्स तो दावा पेश करने में दल विदल

play23:57

दल बदल कानून और दावा पेश करने में

play24:00

क्योंकि राज्यपाल को क्या सरकार बनाने के

play24:03

लिए पहले निवता देना पड़ेगा तेजस्वी यादव

play24:06

को और फिर जब फ्लोर पर जाएंगे तो इनके ही

play24:08

अध्यक्ष है तो वहां पर क्या हो सकता है

play24:11

अगर हम इसको मानकर चले कि तेजस्वी यादव के

play24:14

पास नंबर आ गए हैं तो उस परिस्थिति में

play24:16

क्या हो सकता है इस परिस्थिति को भी

play24:19

समझाइए नहीं देखिए अब एक है ना कहावत अब

play24:24

दो बड़े भाई हमारे हैं सया भए कोतवाल तो

play24:26

डर काहे का है ना तो यहां तो सया कोतवाल

play24:30

है अभी बता रहे थे अरुण भैया कि कैसे

play24:34

राज्यपाल भवन गए थे पिछली दफा 17 में भी

play24:37

और सारी चीजें हुई थी तो इसका कोई मतलब अब

play24:40

नहीं रह जाता है भरत जी एक अगर

play24:43

हाइपोथेटिकल क्वेश्चन है कि उनके पास

play24:45

चीजें आ गई फिर वो हाई कोर्ट चला जाएगा ब

play24:48

बहुत सारी चीजें है पैरेड होगा या बाकी

play24:51

अन्य चीजें होंगी लेकिन मुझे जो लगता है

play24:54

अरुण भैया ज्यादा इसके विधानसभा को कवर

play24:56

करते उनकी एक उम्र हो गई तो ये हम मुझे जो

play25:01

लगता है कि नीतीश इस्तीफा देंगे अगर

play25:05

समर्थन वापस ले लेते हैं तेजस्वी यादव कुछ

play25:07

देर में तो अच्छी बात है नीतीश इस्तीफा

play25:10

देंगे और फिर से वो नौवी बार मुख्यमंत्री

play25:13

का शपथ लेंगे यही हो सकता है और जहां तक

play25:16

मुझे नहीं लगता 118 विधायक उनके पास अभी

play25:19

जैसा अभी पूरा अगर देख लेंगे आप तो उनके

play25:23

पास है और उनका सारा ऑफर

play25:26

गमता बनर्जी का कहना है कि हम जो है भाई

play25:30

अकेले चुनाव लड़ेंगे नीतीश कुमार के जाने

play25:32

से विपक्ष के इं इंडिया गठबंधन को कोई

play25:35

फर्क नहीं पड़ेगा क्या वाकई कोई फर्क नहीं

play25:37

पड़ेगा क्योंकि मेन अगुआ के तौर पर तो

play25:39

नीतीश कुमार थे ना मैं प्रज्ञा आपको अपडेट

play25:42

कर दूं कि ममता बनर्जी ने इससे पहले राहुल

play25:47

गांधी को फोन करके कहा था कि नीतीश कुमार

play25:51

पर विश्वास नहीं करना वो कभी पलट सकते हैं

play25:54

ये खबरें मीडिया में आ चुकी है ठीक है ना

play25:56

हां बिलकुल पलट सकते ठीक है तो ये नीतीश

play26:01

कुमार देखिए हम बार-बार इस बात को कह रहे

play26:03

हैं कि आप घटनाक्रम को थोड़ा सा समझिए

play26:07

राजनीतिक घटनाक्रम को तो चार पाच महीने से

play26:10

चीजें धीरे धीरे साफ होने लगी थी हम लोग

play26:13

लगातार इस बात पर डिबेट कर रहे थे कि

play26:15

नितीश जी वहां रुकने वाले नहीं है बैठक दर

play26:19

बैठक उनका कद कम होता गया ठीक है और

play26:22

उन्होंने पैसेज दिया ललन सिंह को अध्यक्ष

play26:25

पद से हटा के संवाद की कोशिश जारी थी

play26:28

क्योंकि सैद्धांतिक सहमति जब तक आपकी नहीं

play26:31

बनती तब तक कोई आप क्क बीजेपी भी सतर्क है

play26:36

यह भी सतर्क है अब तो मैं वही तो कह रहा

play26:39

हूं अरुण भैया बैठे हैं मैं तो सोच करके

play26:43

कभी कभी शर्म आ रही है कि भाई उसी पत्रकार

play26:45

दरघा में भैया के पास ही हम लोग बैठते हैं

play26:48

तो वहां से फिर देखेंगे कैसे क्या कहेंगे

play26:51

यह लोग कौन साय देंगे तो इसीलिए मैंने

play26:54

दिनकर की वो पंक्ति कही थी ना कि एक जुआरी

play26:57

के अड्डे प वातावरण पवित्र कठिन है

play26:59

राजनीति में मित्र कठिन है स्व से उठा

play27:01

चरित्र कठिन है तो य और ये आज की बात नहीं

play27:05

है यह बहुत पहले की बात जब भ्रष्टाचार की

play27:08

बात लोग आज करते हैं बहुत तेजी से तो

play27:12

किताब है एक परशुराम की प्रतीक्षा उसको

play27:14

कभी भी माने पत्रकारों को पढ़ना चाहिए अवा

play27:17

अध्याय है एनर की उसमें लिखते हैं दिनकर

play27:20

1960 भैया अरुण भैया सहमत होंगे इससे

play27:24

उसमें लिखते हैं कि अरे अरे दन दहाड़े

play27:25

जुल्म ढाते हो रेलवे का पर उठाए कहां जाते

play27:28

हो बड़ा बेवकूफ है अजब तेरा हाल है तुझे

play27:31

क्या पड़ी है तो सरकारी माल है नेता या

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प्रनेता तेरा ठीक तो ईमान है देश में दिया

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जाता अब नहीं कान है और जिस जिस दिनकर को

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राज्यसभा भेजा

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था नेहरू ने उनके खिलाफ हो जाते हैं और

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लिखते हैं आगे उसी कविता में ढोल है कि

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पोल है कि नेहरू के कारण ही सारा गंड गोल

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है भोर में पुकारो सरदार को जो जीत में

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बदल देते थे हार को कभी निराश होता है

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अंतिम अजा में लिखता है कि राम जाने भीतर

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क्या बल है तो पर भी देश रहा चले इसलिए

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राजनीति में सियासत के सियासत में संस्कार

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जो होता है ना सिद्धांत वाला नहीं होता है

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प्रज्ञा जी तो यह ठीक कहा अरुण भैया ने कि

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इनका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भजन लाल

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हम लोग भुला जाएंगे है ना इनके नेता से

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पूछिए तो तो भाई कहते हैं कि हम तो सीएम

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के सीएम बने हैं पलट तो रहा है आरजेडी और

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बीजेपी इसमें क को

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पलट तो ये दोनों रहा है ना अपने स्वार्थ

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में 7 पर 8 पर तो 2 पर वोट में तो स्विंग

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हो जाता है पूरा

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खेल एक बात प और कहना चाहेंगे एक प्रश्न

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था भरत जी का कि तेजस्वी यादव जो ग्लो कर

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रहे थे जो सारी चीजें ठीक चल रही थी तो

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अचानक ये चीज कैसे आ

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देखिए 14 की राजनीति के बाद अरुण भैया

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बैठे हैं इसके बाद संभवत हम उनसे पूछेंगे

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कि

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206 243 विधानसभा के में आता है ठीक है

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सीट लाते हैं अगर नीतीश कुमार 2015 के

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चुनाव में लालू प्रसाद यादव के साथ नहीं

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होते तो मुझे ऐसा लगता है कि लालू प्रसाद

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यादव की पार्टी का वजूद खत्म हो जाता

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क्योंकि पिछली दफा 22 और 25 सीट पर आ गए

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2015 में संजीवनी किसने प्रदान की नीतीश

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कुमार ने फिर 2017 में हट गए 2020 का

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विधानसभा चुनाव बीजेपी ने एक टूल्स फिट

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किया चिराग वाला लेकिन चिराग दूसरे की

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लंका जलाने में अपनी भी लंका जला बैठे और

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यह भी सारे सीटों से हाथ धो दिया हालांकि

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हर जगह बीजेपी से आयातित उम्मीदवारों को

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खड़ा करके 43 सीट पर लाने में कामयाब

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कामयाब हो गए यह नीतीश कुमार को पता था 9

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अगस्त 2022 को जब गठबंधन टूटा तो उस समय

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ललन सिंह ने यही बातें कही थी कि हमारे

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खंजर पीठ में खंजर मारा गया हालांकि तब तक

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बातें चलती रही लेकिन उसके उलट प्रोसीडिंग

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में है विधानसभा के इसको देखिए कि कैसे

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नीतीश कुमार उस दौर में भी कहा कहते थे

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विधानसभा के अंदर अरे येय तो ललन बाबू और

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विजेंद्र बाबू बोले तो हम इधर चले मतलब उस

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समय भी लगता था कि दिल उधर ही है हम उस

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समय भी बोले थे कि एक अटैची कपड़ा रख के

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आते हैं जन घर छोड़ते हैं तो हरिवंश बाबू

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वहां थे हरिवंश बाबू को नहीं हटाया सब

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सभापति थे तो देखिए सवाल बहुत सारे हैं

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लेकिन मैंने जो कहा ना कि उलट फेर वाला

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सियासत का सातवा अध्याय समाप्ति पर है

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ऑपरेशन

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लोटस अपने अंजाम तक पहुंच चुका है कल रात

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ऑपरेशन लालटेन की शुरुआत हुई व लय कितना

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बांध पाता है वक्त बताएगा बड़े भैया ने कह

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दिया है कि भाई आपके पास आंकड़ा रहेगा तब

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ना भरत जी भी बता रहे थे सुनील भैया कि

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आंकड़ा रहेगा तब ना आधार मजबूत होगा बाकी

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तो विरोध की राजनीति है तो जिंदाबाद

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मुर्दाबाद किया कीजिए अब तो हाथ से चीजें

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निकल चुकी है गाय का पगा छूट गया तब तो

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दूसरे कोई ना

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रेगा तो यह तो बात है बिहार की राजनीति

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बड़ा कभी कभी होता है ना अच्छा दूसरी बात

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उत्तर प्रदेश और बिहार एक ऐसा प्रदेश मुझे

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लगता है कि यहां राजनीति चेतना बहुत शिखर

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पर होता है लोगों का दूरा पर चल जाइए दलान

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पर चल जाइए ट्रेन के डब्बा में चल जाइए

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चाय के गुंटी पर चल जाइए हर जगह भाई एक

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पॉलिटिशियन मिल जाएगा और वहां राजनीतिक

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विश्लेषक भी मिल जाएगा आपको वो अपने तरीके

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से अपने तरीके से बात करेगा तो संजीवनी दन

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करने का काम राष्ट्रीय जनता दल और लालू

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प्रसाद यादव को छोटे भाई नहीं किया फिर से

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मैं बताता हूं कि जाति की छाती पर नाचने

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वाली बिहार की राजनीति में अगर यह तमाम

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लोग एक जूट हो जाते हैं तो वहां फिर

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राष्ट्रीय जनता दल अकेले रह जाए 19 का

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चुनाव भी उसका गवाह है 20 के चुनाव में

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इसलिए आ गए कि कुछ युवाओं का और एंटी

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इनकंबेंसी फैक्टर नीतीश कुमार के खिलाफ है

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इसमें कहीं कोई शक नहीं चेहरा लोग नहीं

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देखना चाहता और कल से जो आज तक बात हो रही

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है उसमें विश्वसनीयता का खतरा है लेकिन

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कहावत है भाई देहात में हम लोगों के कापर

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करू सिंगार पी आम और

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आधर क्या करेगा

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लोग तो वही वाली बात है मेरा आपसे आखिरी

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सवाल यही है कि देखिए बीजेपी भी अपने

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सहयोग सहयोगियों को बड़ा मान

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आप की पगड़ी का क्या होगा बहुत कुछ चल रहा

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है अब आपको आगे बिहार का राजनीतिक भविष्य

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क्या लग रहा

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है देखिए मुरे वाले भाई साहब के लिए तो

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समस्या है उन्होंने मुरे बांधा मुरे का

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क्या होगा तो वक्त लेकिन राजनीति

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संभावनाओं का खेल है प्रज्ञा जी और वही

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बिहार के अंदर हो रहा है और चूंकि आंकड़ों

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की बाजी गिरी है और उसके सहारे बिहार से

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मतलब वहां सत्ता तय करना है हिंदी पट्टी

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प्रदेशों में अगर 80 आपके यहां यहां 40

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लोग हैं तो समझ लीजिए एक बड़ा बेंचमार्क

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है तो अब बिहार का भविष्य देखिए जैसा कि

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हमारे बड़े भाई सुनील पांडे जी ने भी

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बताया यहां की

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सियासत आने वाले समय में नीतीश कुमार का

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जो चरित्र है राजनीति का वो बड़ा

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अविश्वसनीय हो गया है ठीक है ना लेकिन अब

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आप कल्पना तो कीजिए कि 43 सीटों वाली

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पार्टी का नेता नेता की बारगेनिंग

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कैपेसिटी कितनी जबरदस्त है कि वह इंडिया

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को भी और इधर दोनों को दो हाथ में रखा

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अंततः एक को अपने पर पक्ष में बुलाया मैं

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जो हमेशा लगातार इन बातों को कह रहा हूं

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कि नीतीश कुमार कब किस बात को दिल पर ले

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ले उनका अपना राजनीति करने का तरीका रहा

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है और हम मुझे हम जो बारबार कहना चाह रहे

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कि एक रहस्यमय राजनीतिक प्राणी है और उनको

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समझना बड़ा मुश्किल होता है उनके

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इर्दगिर्द जो लोग होते हैं वो भी नहीं समझ

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पाते मैं विमान से जा रहा था जिस दिन 27

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को संभवत 27 दिसंबर को और उसी विमान से यह

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भी जा रहे इनके साथ तीन लोग थे इनके तीन

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लोग जो थे अशोक चौधरी थे विजय चौधरी थे

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और संजय झा थे अब उस एक घंटे 10 मिनट की

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यात्रा

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में तीन लोग थे पहले विजय चौधरी आगे बैठे

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थे जोक बिजनेस क्लास होता है उस विस्तारा

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में और हम पीछे थे तो उस तीन घंटे में

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तीनों को आगे पीछे तीन बार किए ए भाई अब

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आप आ जाइए अब पता नहीं एक घंटा 10 मिनट

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में क्या बतिया रहे थे तो ये इनको समझना

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बड़ा मुश्किल है अभी तो देखिए वहां

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अश्विनी चौबे बाबा एकदम साथ में आज एकदम

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आइए आइए आइए जाइए हो रहा था तो अब नए

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तरीके से भाई विजय सिन्हा जी हमारे हैं

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कड़कड़ अध्यक्ष थे हैं अब तो देखिए उनको

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कि अ उनके साथ कल परसों हाटी में जब देखा

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मैंने कि एयरपोर्ट पर उनसे मेरी बात हुई

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तो उन्होंने बहुत कुछ बताया लेकिन जब

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हाइटी में हम उनकी मुस्कुराहट देखे हमकी

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क्या बात है भाई यह सियासी मुस्कुराहट है

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तो सत्ता का सुख बड़ा अलबेला होता

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है ठीक है सुभाष चंद्र बोस की एक किताब है

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दिल्ली चलो तो सत्ता के चरित्र पर जो

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उन्होंने लिखा है मैं कहना नहीं चाहता तो

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सत्ता का एकदम अलग चरित्र होता है आप अगर

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मध्यकालीन भारत से भी देखेंगे नहीं तो

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लोकतंत्र में हम लोग जी रहे हैं तो बिहार

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का सियासी भविष्य जिस तरीके से चल रहा है

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उसी तरीके से चलता रहेगा सियासी महत्व

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जितना अगर नीतीश जी का बना रहेगा उतना आगे

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घालमेल होता रहेगा इसी तरीके की चीजें

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सामने आती रहेंगी अब दो दो साल 17 महीना

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हुआ इनको गए हुए 17 महीना के बाद फिर दिल

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भरया अब फिर छोड़ कर के चले बड़े भाई को

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जबकि

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अरुण भैया जब गए थे पिछली दफा वहां लालू

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जी के पास तो लालू जी ने कहा था अब छोड़

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के मत जाया

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हो प्रॉपर वे में ये रिकॉर्डेड है अब छोड़

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के मत जा लेकिन भाई तो नीतीश कुमार ठहरे

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राजनीति का अपना रंग है और बिहार में उसका

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अपना ढंग है भाई तो अब देखिए अब खेला फिर

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अब शपथ ग्रहण कल तो सुन रहे हैं कि एनडीए

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वाले सारे विधायक जितने हैं उस दिन हम लोग

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रात रात तक थे 17 में और सब लोग एक साथ

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बैठकर खाना खाए थे रात में और दूसरे दिन

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शपथ ग्रहण हुआ था अब कल एनडीए बैठक है

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संभवत मुख्यमंत्री आवास में उसमें सारे

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विधायक जुटने वाले हैं एनडीए के और अब वो

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अन्य मार्ग ही पहुंचेंगे लोग और उसके बाद

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शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी होगी तो हम

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लोगों के लिए तो बस समझिए कि यह मसाला ही

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मसाला है

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