1971 to 2024: बांग्लादेश के हर तख़्तापलट का पूरा इतिहास | Bangladesh Coup History Explained in Hindi

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7 Aug 202413:03

Summary

TLDR该视频剧本详细回顾了印度次大陆的历史,特别是孟加拉国的独立和政治动荡。从1947年印巴分治到1971年孟加拉国独立,再到1975年谢赫·穆吉布被暗杀,以及随后的多次政变和政治变革。剧本探讨了孟加拉国政治中的军事干预,以及谢赫·哈西娜和卡莉达·齐亚等政治人物的角色。同时,剧本也涉及了孟加拉国与印度的关系,以及这些历史事件对两国关系的影响。

Takeaways

  • 🗓️ अगस्त महीना भारत के लिए विशेष है क्योंकि 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों के गुलाम होने के बाद आजादी प्राप्त हुआ।
  • 🏛️ आजादी के बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के तीन देश अस्तित्व में आए, लेकिन भारत में कोई तख्ता पलट नहीं हुआ है।
  • 📉 1975 में भारत में एक्सेप्शन लागू की गई, जिसके दो साल बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ, यह भारत की लोकतंत्रता पर एक प्रभाव डाला।
  • 🆚 भारत के विपरीत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में कई बार सरकारी तख्ता पलट हुए हैं।
  • 🇧🇩 1971 में बांग्लादेश के जनतां ने आजादी लड़ाई लड़ी, और इसमें भारत ने सहायता की।
  • 👤 शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश की आजादी के जनक माने जाते हैं, लेकिन उनके बच्चे शेख हसीना और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नेतृत्व में आजादी के बाद कई मुश्किलियाँ हुई।
  • 🚨 1975 में शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के सदस्यों को मारने के हमलों में सेना के युवक सैनिकों ने भाग लिया।
  • 🛑 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, बांग्लादेश में कई बार सरकारी तख्ता पलट हुए हैं।
  • 👮‍♂️ सेना ने बांग्लादेश के राजनीति में कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और कई बार सरकारी तख्ता पलट के कारण थे।
  • 🏆 खालिदा जिया, बीएनपी की नेता, और शेख हसीना के बीच राजनीतिक संघर्ष है, और वे दोनों ने अपने समय में बांग्लादेश की सरकार चलानी की।
  • 🔄 बांग्लादेश के राजनीति में कई बार लोकतंत्र और सेना के बीच संघर्ष हुए हैं, और यह अभी भी जारी है।

Q & A

  • 阿格斯特月为什么在印度历史上是一个重要的月份?

    -阿格斯特月在印度历史上是一个重要的月份,因为1947年8月15日,印度从英国统治下获得独立。

  • 印度独立后,为什么说它是一个独特的存在?

    -印度独立后,它是一个独特的存在,因为它是少数几个在独立后没有经历过政权更迭或政治动荡的国家之一。

  • 1975年印度发生了什么重大事件?

    -1975年,印度宣布了紧急状态,这是一次持续了近两年的政治危机,期间基本自由和公民权利受到限制。

  • 孟加拉国是如何成立的?

    -孟加拉国是在1971年,经过一场与巴基斯坦的独立战争后成立的。

  • 孟加拉国独立后的政治情况如何?

    -孟加拉国独立后经历了多次政权更迭,包括军事政变和政治动荡,与印度和巴基斯坦相比,其政治稳定性较差。

  • 谢赫·穆吉布·拉赫曼是谁,他在孟加拉国历史中扮演了什么角色?

    -谢赫·穆吉布·拉赫曼是孟加拉国的创始人,被称为国父,他在1971年领导了孟加拉国的独立运动。

  • 谢赫·哈西娜是谢赫·穆吉布·拉赫曼的什么人,她在孟加拉国政治中的地位是什么?

    -谢赫·哈西娜是谢赫·穆吉布·拉赫曼的女儿,她在孟加拉国政治中是一位重要的政治领导人,曾担任总理。

  • 为什么谢赫·哈西娜被迫离开自己的国家?

    -谢赫·哈西娜被迫离开自己的国家,是因为在国内面临政治压力和抗议,最终不得不辞去总理职务并离开孟加拉国。

  • 孟加拉国的政治动荡对印度有什么影响?

    -孟加拉国的政治动荡对印度有间接影响,因为两国有着密切的地理、文化和经济联系,孟加拉国的不稳定可能会影响区域安全和经济合作。

  • 孟加拉国的军事介入政治是如何开始的?

    -孟加拉国的军事介入政治始于1975年,当时一群年轻军官发动政变,杀害了国父谢赫·穆吉布·拉赫曼及其家人。

  • 孟加拉国的民主进程有哪些挑战?

    -孟加拉国的民主进程面临多方面的挑战,包括政治腐败、军事干预、政治暴力以及政治领导人之间的权力斗争。

Outlines

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🇮🇳 印度独立后稳定的民主历程

1947年8月15日,印度从英国殖民统治下获得独立,随之而来的是三个国家的成立:印度、巴基斯坦和孟加拉国。尽管印度经历过紧急状态(1975-1977),但整体而言,印度的权力过渡是相对平稳且没有军事干预的。这使得印度的民主制度比同样新生的巴基斯坦和孟加拉国要稳定得多。相比之下,孟加拉国自1971年独立以来,多次经历政变,最新的政变甚至迫使现任总理谢赫·哈西娜流亡。

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🔥 孟加拉国的独立与民族冲突

孟加拉国的独立可追溯到1971年,当时东巴基斯坦(即现孟加拉国)因为语言、文化和政治权利的争端,与西巴基斯坦爆发冲突。尽管谢赫·穆吉布尔·拉赫曼在1970年选举中赢得了东巴基斯坦的压倒性胜利,但西巴基斯坦的军政府拒绝移交权力,导致东巴基斯坦爆发独立战争。在印度的支持下,东巴基斯坦最终战胜了西巴基斯坦军队,并于1971年3月25日正式宣布独立为孟加拉国。

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🔄 孟加拉国的多次政变与政治动荡

孟加拉国在1975年8月15日经历了第一次军事政变,谢赫·穆吉布尔·拉赫曼及其家人大部分被杀害,只有他的两个女儿幸存。此后,孟加拉国政局动荡不安,历经多次政变,包括1975年的两次政变和1982年的伊尔沙德将军政变。尽管1990年后孟加拉国逐渐恢复民主,但军队的影响力依然深远。最新的政变导致了前总理谢赫·哈西娜流亡,而反对党领导人哈利达·齐亚则可能重返政坛。

Mindmap

Keywords

💡印度独立

印度独立指的是1947年8月15日,印度从英国殖民统治下获得自由,成为一个主权国家。这一天被印度人民视为国庆日,是印度现代历史中的一个里程碑事件。在视频中,这个事件被用来对比印度、巴基斯坦和孟加拉国在独立后的不同发展路径,尤其是印度相对稳定的民主制度。

💡孟加拉国独立

孟加拉国独立指的是1971年从巴基斯坦分离并成立独立国家的过程。视频详细介绍了这一事件的历史背景,包括语言、文化差异以及政治选举等因素,最终导致了孟加拉国的诞生。视频中还提到了印度在孟加拉国独立战争中的关键支持作用。

💡1971年印巴战争

1971年印巴战争是印度和巴基斯坦之间的一场重要军事冲突,最终导致了孟加拉国的独立。战争爆发的原因是东巴基斯坦(现孟加拉国)与西巴基斯坦(现巴基斯坦)之间的政治、文化和语言冲突。印度的介入帮助东巴基斯坦赢得了独立,成立了孟加拉国。

💡穆吉布·拉赫曼

穆吉布·拉赫曼是孟加拉国的开国领袖,被誉为‘孟加拉之父’。他在1971年领导了孟加拉国的独立运动。视频中提到,虽然穆吉布为孟加拉国的独立做出了巨大贡献,但他在1975年被一群年轻军官暗杀,他的家族大部分成员也在这次袭击中丧生。

💡军事政变

军事政变是指通过军事力量推翻现有政府的行为。在视频中,孟加拉国自独立以来经历了多次军事政变,包括1975年穆吉布·拉赫曼被暗杀后的政变,以及1982年侯赛因·穆罕默德·埃尔沙德上台的政变。这些政变对孟加拉国的政治稳定产生了深远的影响。

💡谢赫·哈西娜

谢赫·哈西娜是孟加拉国的现任总理,也是穆吉布·拉赫曼的女儿。视频中提到她在领导国家期间遭遇的多次政治危机和挑战,包括被迫离开国家的事件。她的统治风格以及如何处理政治动荡在视频中被详细探讨。

💡孟加拉国民族主义党(BNP)

孟加拉国民族主义党(BNP)是孟加拉国主要的反对党之一,由齐亚·拉赫曼创立。视频中提到该党在孟加拉国的多次政变和政治斗争中扮演了重要角色,尤其是与谢赫·哈西娜领导的孟加拉国人民联盟(Awami League)之间的政治对立。

💡1975年8月15日

1975年8月15日是孟加拉国历史上的一个黑暗日子,穆吉布·拉赫曼及其大部分家族成员在这一天被一群年轻的军官暗杀。这一事件标志着孟加拉国首次军事政变的发生,也是孟加拉国政治动荡的开始。

💡紧急状态

紧急状态是指在国家面临重大危机时,政府为了维护社会秩序而采取的一系列紧急措施。在视频中,印度在1975年曾宣布紧急状态,这被视为印度民主历史中的一个例外时期。孟加拉国也多次因为政治动荡而进入紧急状态。

💡印孟关系

印孟关系指的是印度和孟加拉国之间的双边关系。视频中强调了印度在1971年孟加拉国独立过程中所扮演的重要角色,以及两国在独立后如何处理双边关系。尽管孟加拉国内部政治动荡频繁,但两国的关系在大多数情况下保持友好。

Highlights

阿格斯特月是充满事件的月份,特别是在印度历史上的8月15日之前。

印度在1947年之前是英国的殖民地,8月15日获得独立。

自独立以来,印度、巴基斯坦和孟加拉国三个国家存在,但印度是唯一没有政权更迭的国家。

1975年,印度实施了紧急状态,尽管有选举,但民主并未完全实现。

与印度相比,巴基斯坦和孟加拉国的政治环境更为动荡,政权更迭频繁。

孟加拉国自1971年建国以来,至少发生了两打政权更迭或尝试更迭。

孟加拉国总理谢赫·哈西娜因政治动荡被迫离开国家。

孟加拉国军队首领卡马尔·贾马特掌握了国家权力,谢赫·哈西娜被迫辞职。

孟加拉国的独立斗争始于对保留政策的反对,谢赫·穆吉布·拉赫曼是其建国之父。

1971年,孟加拉国在印度的支持下,通过游击队战争赢得了独立。

孟加拉国独立后,穆吉布·拉赫曼的雕像被推倒,表明政治动荡。

孟加拉国反对党领袖卡莉达·齐亚及其家族在政治中扮演重要角色。

孟加拉国政治中,军队干预是一个持续的问题,影响了民主进程。

1975年,谢赫·穆吉布·拉赫曼及其家人遭到暗杀,这是孟加拉国历史上的一个转折点。

孟加拉国经历了多次军事政变,政治不稳定持续存在。

2007年,孟加拉国再次发生军事政变,影响了即将到来的选举。

2008年,孟加拉国恢复了民主选举,谢赫·哈西娜重新掌权。

孟加拉国政治中,两大家族——谢赫家族和卡莉达家族——的竞争持续存在。

Transcripts

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अगस्त का महीना बहुत इवेंटफुल महीना होता

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है 47 में इसी महीने की 15 तारीख से पहले

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भारत जो है वो अंग्रेजों का गुलाम था 15

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अगस्त को मिली आजादी के बाद से अब तक भारत

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पाकिस्तान और बांग्लादेश के जैसे तीन देश

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एक्जिस्टेंस में

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आए न द वर्ड इंडिया ल अवे लाइ ए फ्रीडम

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इनमें से भारत एकलौता अपवाद है जहां आज तक

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कोई कु यानी तख्ता पलट नहीं हुआ 1975 में

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लगाई गई करीब दो साल की इमरजेंसी को अगर

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एक्सेप्शन मान ले तो इंडिया में जो

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इलेक्शंस हुए हैं फ्री एंड फेयर हुए हैं

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मोटा मटी ट्रांसफर ऑफ पावर मोटा मटी स्मूथ

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रहा है और मिलिट्री का जीरो इंटरफेरेंस

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रहा है मतलब अभी इंडियन डेमोक्रेसी 100

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साल की भी नहीं हुई लेकिन पाकिस्तान और

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बांग्लादेश के कंपैरिजन में बिलियन टाइम्स

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बेटर है और सबसे लेट एक्जिस्टेंस में आए

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बांग्लादेश की बात करें तो 1971 में यह

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देश बना तब से अब तक कम से कम दो दर्जन

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बार यहां पे या तो तख्ता पलट हुआ है या

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इसकी कोशिश हुई है सबसे इस मामले में पीएम

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शेख हसीना को अपना देश छोड़ना पड़ा और

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वहां से उनको निकलना पड़ा और वहां के

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मिलिट्री के जो हेड है बकार जमा वो

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उन्होंने जो देश की सत्ता है वो अपने हाथ

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में ले ली है इट गवर्मेंट माध्यम य देश

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समस्त कार्ला

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चल नमस्ते मेरा नाम है तरुण और इस स्टोरी

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में आपको तसल्ली से बताया जाएगा कि एक देश

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के तौर पर बांग्लादेश अस्तित्व में कैसे

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आया यह पाकिस्तान से अलग क्यों हुआ अलग

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होने के बाद भी इसकी हालत पाकिस्तान से

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अलग क्यों नहीं हो पा रही है और इन सबका

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भारत पर क्या असर पड़ता रहा है शुरू करते

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हैं ये स्टोरी लेकिन सबसे पहले ऐसी ही

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स्टोरीज के लिए आप स्विच को

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facebooksignup.in स्पेशल स्टेटस देने

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वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया था इंडिया

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में 5 तारीख को इसकी सालगिरह मनाई जा रही

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थी इस दिन दोपहर को मीडिया को संबोधित

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करते हुए बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार

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जमा ने कहा कि वो बांग्लादेश कंट्रोल अपने

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हाथों में ले रहे हैं खबर यह भी आई कि

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अपना देश छोड़कर शेख हसीना को भारत आना

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पड़ रहा है पीएम के पद से इस्तीफा

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देकर बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना को दबाव

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में रिजाइन करना पड़ा है मामला बांग्लादेश

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को आजादी दिलाने वाले लोगों को मिलने वाले

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रिजर्वेशन के विरोध से शुरू हुआ था

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हालांकि हसीना ने जो देश छोड़ा उसके बाद

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जिस तरीके की तस्वीरें आई उनके देश से उसे

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साफ है कि ये प्रदर्शन जो थे वो हाइजक हो

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चुके हैं इसका सबसे बड़ा सबूत है यह

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वीडियो इसमें आप शेख हसीना के पिता शेख

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मुजीबुर रहमान को देख रहे हो उनके स्टैचू

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को देख रहे होंगे

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[प्रशंसा]

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आपको समझाने के लिए इनको बांग्लादेश का

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गांधी या नेहरू कह सकते हैं हुआ यह था कि

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1971 में जब बांग्लादेश को आजादी मिली थी

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तब शेख मुजीबुर रहमान ही इसके जनक बने हो

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सकता है कि उनकी बेटी जिस तानाशाही रवैए

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के साथ बांग्लादेश की सरकार चला रही थी

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उससे आम जनता को नाराजगी हो सकती है लेकिन

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शेख मुजीब की मूर्ति तोड़े जाने से साफ है

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कि अब यह प्रदर्शन प्रदर्शन नहीं रहा इसे

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बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों ने

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फॉरेन एलिमेंट्स ने हाईजैक कर लिया है

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इसे हाईजैक करने वालों में चीन और अमेरिका

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के अलावा जमात इस्लामी से लेकर बांग्लादेश

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की विपक्षी पार्टी बीएनपी तक के नाम सामने

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आ रहे हैं शेख मुजीब और शेख हसीना की तरह

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इस स्टोरी में एक मेन कैरेक्टर है

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बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बीएनपी की

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मुखिया खालिदा जिया इन तीनों और इनके

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परिवार वालों के नाम आपके सामने इस स्टोरी

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में बार-बार आते रहेंगे ऐसे में इस कहानी

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को शुरू करते हैं 1947

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से 47 में जब बंटवारा हुआ तो इंडिया के

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अलावा ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान

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एक्जिस्टेंस में आए बाद में जाकर ईस्ट

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पाकिस्तान ही बांग्लादेश बना बांग्लादेश

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के अस्तित्व में आने के पीछे लैंग्वेज

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कल्चर और इसके अलावा इलेक्शन एक बड़ा रीजन

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बना आजादी के बाद से इंडिया सक्सेसफुली

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इलेक्शंस कराता रहा लेकिन पाकिस्तान का एक

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भी ऐसा इलेक्शन नहीं रहा जो कि सक्सेसफुल

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रहा हो जो कि रिग्ड ना रहा

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हो हुआ यह था कि बांग्लादेश बनने से पहले

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पाकिस्तान में आम चुनाव हुए थे 1970 के इस

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आम चुनाव में ईस्ट पाकिस्तान में मुजीबुर

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रहमान की आवामी लीग को 162 में से 160

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सीटें मिली मतलब प्रचंड बहुमत दूसरी तरफ

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वे पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो की

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पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने पश्चिमी

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पाकिस्तान में 138 में से 81 सीटें

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जीती पाकिस्तान में हमेशा से ही पॉलिटिकल

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पार्टियों के ऊपर सेना का राज रहा है देश

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को सेना ही चलाती है इस चुनाव के दौरान भी

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पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल यया खान

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की तानाशाही चल रही थी आवामी लीग की जीत

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के बावजूद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल

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यया खान ने मुजीबुर रहमान को सत्ता सौंपने

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से इंकार कर दिया यया खान के इस फैसले से

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पूर्वी पाकिस्तान में आग लग

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गई इसके पहले से ही ईस्ट पाकिस्तान में

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बंगाली कल्चर और नेशनलिज्म का मूवमेंट चल

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रहा

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था दरअसल ई पाकिस्तान वाले उर्दू नहीं

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बोलते थे उनका इस्लाम भी पाकिस्तान के

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इस्लाम से अलग रहा उनके ऊपर जिन्ना के

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बजाय बंगाल के हीरो और उनकी संस्कृति हावी

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थी इन सब की वजह से ईस्ट पाकिस्तान में इस

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चुनाव से पहले उर्दू थोपे जाने के खिलाफ

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आंदोलन चल रहा था ऐसे में शेख मुजीब ने

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वेस्ट पाकिस्तान के खिलाफ अपना झंडा बुलंद

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कर दिया हुआ यह कि 7 मार्च 1971 को मुजीब

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ने ईस्ट पाकिस्तान के लोगों से कहा कि वह

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बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के लिए

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तैयार हो जाए इसके जवाब में स्स पाकिस्तान

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वाली यया खान की सेना ने अपना इनफेमस

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ऑपरेशन सर्च लाइट शुरू कर दिया विरोध

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प्रदर्शनों को कुचलने के लिए न जाने कितनी

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हत्याएं रेप इल्लीगल अरेस्ट से लेकर

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बेरहमी की सारी हदें पार कर दी गई बेरहमी

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की इंतिहा ऐसी हुई कि 2024 में जिस तरीके

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से शेख हसीना के खिलाफ बगावत हुई है वैसे

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ही उस दौर में ईस्ट पाकिस्तान की आर्मी ने

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वेस्ट पाकिस्तान की आर्मी के खिलाफ

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विद्रोह कर दिया ऐसे विद्रोह के बाद ई

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पाकिस्तान की आजादी की जंग और तेज हो गई

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न्हे अपने इस जंग में भारत जैसे दोस्त का

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साथ मिला भारत के इस साथ के बाद ई

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पाकिस्तान के विद्रोहियों ने नागरिकों के

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साथ मिलकर मुक्ति वाहिनी का गठन

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किया मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तानी आर्मी

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के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध छेड़ दिया उनके

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इस युद्ध में उनको भारत का भरपूर साथ मिला

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1971 में मिले भारत के ऐसे साथ का नतीजा

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यह था कि पाकिस्तान के 90 हज सैनिकों को

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भारत और मुक्ति वाहिनी की सेना के सामने

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सरेंडर करना पड़ा याय कि फौज के सरेंडर के

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बाद 25 मार्च 1971 को बांग्लादेश एक देश

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के तौर पर अस्तित्व में आया यह वो दौर था

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जब चीन और अमेरिका दोनों ही बड़ी ताकतें

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बांग्लादेश के एक देश के तौर पे अस्तित्व

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में आने के खिलाफ

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थे खैर बांग्लादेश को फाइनली आजादी मिल गई

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आजादी मिलने के बाद मुक्ती वाहिनी के

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मेंबर्स बांग्लादेशी सेना का हिस्सा बन गए

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इन्हीं को मिले रिजर्वेशन की वजह से बा

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बांगलादेश में आग लग गई थी अभी जिसकी वजह

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से जो इसकी आग की जो आंच थी वह पीएम हसीना

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की कुर्सी तक पहुंच गई उनको अपना देश

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छोड़ना

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पड़ा हालांकि तब मिली आजादी के बाद सेना

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के भीतर उन बंगाली सैनिकों के खिलाफ

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भेदभाव के कारण तनाव पैदा होने लगा

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जिन्होंने आजादी में बांग्लादेश की जगह

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पाकिस्तान का साथ दिया था और यहीं से

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बांग्लादेश में तख्ता पलट का सिलसिला शुरू

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हुआ पहले तख्ता पलट के लिए हमें फिर से

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अगस्त के महीने में लौटना होगा बढ़ते

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भेदभाव का नतीजा ऐसा हुआ कि 15 अगस्त 1975

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को मुट्ठी भर युवा सैनिकों ने शेख मुजीबुर

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को मौत के घाट उतार दिया सैनिकों ने ना

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सिर्फ मुजीबुर बल्कि उनके पूरे परिवार को

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निशाना बनाया उनके इस हमले में शेख

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मुजीबुर के परिवार से सिर्फ दो लोग बचे थे

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हमले में उनकी दो बेटियां शेख हसीना और

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शेख रिहाना यह दो जो थे वो सिर्फ बच पाए

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बाकी पूरे परिवार को सैनिकों ने मौत के

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घाट उतार दिया

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ऐसे मास मर्डर के बाद बांग्लादेश में

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तख्ता पलट चुका था तख्ता पलटने वालों में

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मेजर सैयद फारूक मेजर खांडेकर अब्दुल

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राशिद और खंडेकर मुस्ताक अहमद जैसे एक

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नेता का नाम शामिल था तख्ता पलट के बाद

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मुस्ताक अहमद को देश का राष्ट्रपति बनाया

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गया मेजर जनरल जियाउर रहमान को नया सेना

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प्रमुख बना दिया गया हालांकि इसके कुछ ही

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समय बाद देश में एक बार फिर से तख्ता पलट

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हो गया और जो नए रूलरसोंग्स

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को ब्रिगेडियर खालिद मुशर्रफ ने फिर से

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तख्ता पलट दिया उन्हें शेख मुजीब का

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समर्थक माना जाता था तख्ता पलटने के बाद

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उन्होंने खुद को नया सेना प्रमुख डिक्लेयर

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कर दिया और जियाउर रहमान को नजरबंद कर

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दिया उनका मानना था कि बंगबंधु की हत्या

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के पीछे जियाउर रहमान का ही हाथ था तीसरा

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तख्ता पलट 7 नवंबर को हुआ इस तख्ता पलट को

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जातीय समाज तांत्रिक दल ने अंजाम दिया

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इसमें लेफ्ट यानी वामपंथी झुकाव वाले फौज

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के लोग और नेता शामिल थे इस तख्ता पलट को

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सैनिकों और और लोगों की क्रांति का नाम

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दिया गया इस तख्ता पलट में मुशर्रफ को मौत

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के घाट उतार दिया गया और जियाउर रहमान देश

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के राष्ट्रपति

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बने जियाउर रहमान ने 1978 में बांग्लादेश

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नेशनलिस्ट पार्टी का गठन किया इसका

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एब्रिवेशन बीएनपी है इसी पार्टी ने उस साल

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हुए आम चुनाव में जीत हासिल की इस पार्टी

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के मुखिया है खालिदा जिया फिलहाल जिन्हें

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शेख हसीना के देश निकालने के बाद सेना ने

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जेल से रिहा करने का फैसला लिया है

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लौटेंगे खालिदा जिया और शेख हसीना पर

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लेकिन अगर 197 एड के चुनाव के बाद की बात

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करें तो मेजर जनरल मंजूर की लीडरशिप में

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सेना की एक यूनिट ने विद्रोह कर दिया इस

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यूनिट ने जियाउर रहमान को कुर्सी से हटा

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दिया तख्ता पलटने वालों में रहमान पर उन

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सैनिकों का पक्ष लेने का आरोप लगाया

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जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में

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बांग्लादेश का साथ नहीं दिया था और जो

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आजादी के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए थे

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लेकिन इस देश में तख्ता पलट का सिलसिला

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यहीं पे नहीं थामा 24 मार्च 1982 को तब के

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सेना अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल हुसैन

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मोहम्मद इरशाद ने तख्ता पलट करके सत्ता

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अपने हाथ में ले ली राहत की बात यह रही कि

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इस दौरान किसी का खून नहीं बहा हालांकि तब

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संविधान को सस्पेंड कर दिया गया और मार्शल

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लॉ लागू कर दिया गया यह वो दौर था जब

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बांग्लादेश में बीएनपी के अब्दुल सत्तार

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देश के राष्ट्रपति थे उनको राष्ट्रपति के

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पद से हटा दिया गया 1982 में सत्ता पलटने

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वाले इरशाद ने जातीय पार्टी के नाम से एक

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पॉलिटिकल पार्टी बना ली 86 में चुनाव

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करवाए जाहिर सी बात है कि तब उनकी पार्टी

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को बहुमत मिला और और 1990 तक वही देश के

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राष्ट्रपति रहे लेकिन शेख हसीना की तरह

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उनके ऊपर भी देश में लोकतंत्र बहाल करने

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का दबाव बना प्रोटेस्ट हुआ और उनको कुर्सी

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छोड़नी पड़ी 1990 के दशक और उसके बाद से

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एक तरीके से बांग्लादेश में लोकतंत्र लौट

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आया हालांकि बांग्लादेश की राजनीति में

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उसकी सत्ता में सेना का हस्तक्षेप बना रहा

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और 2006 में बीएनपी और जमात की गठबंधन

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वाली सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के

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बाद राजनीतिक उथल-पुथल मच गई हुआ ये कि नए

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चुनाव होने से से पहले इसको लेके बीएनपी

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में और आवामी लीग में रिफ्ट हो गया कि

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केयरटेकर गवर्नमेंट को कौन लीड करेगा

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हालांकि फाइनली याज उद्दीन अहमद ने खुद को

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केयरटेकर राष्ट्रपति अनाउंस किया और कहा

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कि अगले साल यानी जनवरी में चुनाव कराए

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जाएंगे 11 जनवरी 2007 को सेना प्रमुख

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लेफ्टिनेंट जनरल मोईन अहमद ने फिर से

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तख्ता पलट कर दिया चुनाव होने वाला था जबक

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तो कहां तो होने थे चुनाव लेकिन मोईन ने

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सेना प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल एक

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साल के लिए और केयरटेकर गवर्नमेंट का

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कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया हालांकि

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2008 में जो सेना थी उसने कंट्रोल छोड़

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दिया और जो कमान थी वापस से नेताओं के हाथ

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में आ गई 2008 ही वो साल था जब बांग्लादेश

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में चुनाव हुए और सत्ता शेख हसीना के हाथ

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में आ गई अगर इस देश की राजनीति की बात

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करें तो दो सबसे बड़े नामों में से एक शेख

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हसीना का नाम था उनको अपना देश छोड़ना

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पड़ा और दूसरा सबसे बड़ा नाम है खालिदा

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जिया का वो भी पॉलिटिकल फैमिली से आती हैं

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मिलिट्री लनेज वाली फैमिली से आती हैं

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करंट पॉलिटिकल टर्मल के बाद फौज द्वारा

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खालिदा जिया को रिहा करने का जो फैसला

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लिया गया है इसके बाद से अटकले ये लगाई जा

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रही है कि वो बांग्लादेश अगली पीएम हो

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सकती हैं ऐसे में एक और स्टोरी में आपको

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बताएंगे कि दोनों में से भारत के लिए कौन

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बेहतर रहा है भारत से जब रिश्तों की बात

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आती है यह भी बताएंगे कि इनका रूल भारत

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बांग्लादेश के रिश्तों के लिए किनका

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बढ़िया रहा है किनका बुरा रहा है फिलहाल

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तो इस स्टोरी को यहीं पे समाप्त करते हैं

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ऐसी ही स्टोरीज के लिए ऐसे ही लॉन्ग फॉर्म

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एक्सप्लेनर के लिए स्टोरी टेलिंग के लिए

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आप स्विच को

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मेरा नाम है तरुण

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[संगीत]

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